Poetry on Poverty in Hindi / गरीबी पर कविता

गरीबी

झोला लेकर निकले बच्चे ,बीनने को कबाड़,
गत्ता,प्लास्टिक, कागज, टिन जो भी लगे उनके हाथ,
पल-पल बदल रहा जीवन कचरे में,
इस कचरे के साथ,
इन नौनिहालों के सिर पर नहीं कोई
रखने वाला हाथ,
फुटपाथों पर तो मिल गया जीवन,
पर हो न फुटपाथों पर अंत,
इन नौनिहालों के सिर ढकने वाला,
मिल जाय कोई संत।