मुठ्ठी भर सुकून
यौवनावस्था में, इन्सान के मन में,
अनन्त ख्वाहिशें, तमन्नाएं,
और कुछ कर गुजरने का जुनून होता है,
पर जैसे-जैसे उम्र साॅझ की दहलीज पर
कदम रखती है,
तब थम जाती है रफ्तार ख्वाहिशों की,
ठंडा पड़ जाता है, जोश और जुनून भी,
फिर शुरू होती है चाहत,
बस मुठ्ठी भर सुकून की।