Poetry on Frustration in Hindi
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Poetry on Frustration in Hindi / निराशा पर कविताएं

पानी पानी का मचा है शोर, पहले पानी था हर ओर, नयनों में था शर्म का पानी, दिल में बसा था अपनों के दर्द का पानी, छोटों के लिए था स्नेह का पानी, बड़ों के लिए था सम्मान का पानी। विकास की ऐसी ऑधी आई, चारों ओर बर्बादी लाई, मर गया ऑखों का पानी, सूख गया स्नेह, सम्मान का पानी, लाज शर्म सब हवा हो गयी, बिकने लगा बंद बोतल में पीने का पानी।

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