Category: Life
Poetry on Life in Hindi / जिंदगी पर कविताएँ
चलती ही रहती है जिन्दगी, कभी थमती नहीं रफ्तार इसकी, नदियों सा प्रवाह इसका,कहीं तेज तो कहीं मंद रफ्तार इसकी।
आ जाय राह में कभी कोई पत्थर और काटने लगे, रोकने लगे राह इसकी, मोड़ लेती है अपनी ही धारा, बढ़ जाती है अपनी ही मंजिलों की ओर,
वह मंजिलें जिनका कोई ओर न छोर। महानगरों में, कोलतार से सजी सड़कों पर, भीड़ के रेलों में कहीं गुम सी हो जाती है जिन्दगी। कभी रातों के अंधेरों में भी हो रही होती है शुरूआत इसकी,तो कहीं इन्हीं अंधेरों में ही दम तोड़ती है जिन्दगी।