Category: Sarcastic
Katu Vachan in Hindi / कटु वचन
पौराणिक काल में सागर मंथन से निकले विष को शिव ने जगत कल्याण हेतु स्वेच्छा से अपने कंठ में स्थान दिया और नीलकंठ कहलाये। आज के समाज मंथन से निकला विष मानव की आत्मा, उसकी अंतरात्मा को जख्म दे रहा है , वह निरीह प्राणी कहाॅ जाय।