Thoughts on Suffering in Hindi
Posted in Suffering Thoughts

Thoughts on Suffering in Hindi / वेदना

आज के इस भौतिकतावादी युग में ऐसा लगता है जैसे कि इन्सानियत भी शर्मसार हो गयी है,परिन्दों के पंखों पर सवार होकर दूर कहीं क्षितिज में जाकर छिप गयी है। इन्सान के अंदर की हैवानियत को मौका मिल गया है अपना रंग दिखाने का,और वह भी हैवान बन कर ही रह गया है। कम से कम आज का समय तो यही गवाही दे रहा है,कल क्या हो जाय, यह तो भविष्य ही बता सकता है।

Continue Reading... Thoughts on Suffering in Hindi / वेदना