सदा रहें एक दूजे के साथ
जीवन की धूप छाॅव में, सदा रहे साथ,
टेढ़ी मेढ़ी पग डन्डियों पर थाम चले हाथ,
खट्टे मीठे अनुभवों से जब भी हुए दो चार,
एक दूसरे में ही ढूॅढा अपना आधार, अपना संसार।
उम्र के पड़ावों को करते करते पार,
कुछ इस तरह जुड़ जाते हैं दिलों के तार,
न कोई ख्वाइश, न कोई इच्छा,
बस एक दूसरे संग रमा रहे संसार।
जब तू तू ,मैं मैं न होकर,
बस तू मैं, तू मैं होती है,
एक दूसरे को खुशी देकर,
अपनी खुशी पूरी होती है।
दुआ है मेरी अपने रब से
इस जीवन की संध्या में,
लेके हाथों में हाथ,
सदा रहें एक दूजे के साथ।