Poetry on Poverty in Hindi / गरीबी पर कविता

गरीबी

झोला लेकर निकले बच्चे ,बीनने को कबाड़,
गत्ता,प्लास्टिक, कागज, टिन जो भी लगे उनके हाथ,
पल-पल बदल रहा जीवन कचरे में,
इस कचरे के साथ,
इन नौनिहालों के सिर पर नहीं कोई
रखने वाला हाथ,
फुटपाथों पर तो मिल गया जीवन,
पर हो न फुटपाथों पर अंत,
इन नौनिहालों के सिर ढकने वाला,
मिल जाय कोई संत।

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ASHA Writer, Creator, and Motivator
मैं एक लेखक, निर्माता और प्रेरक हूं जो विश्लेषणात्मक और तार्किक सोच के माध्यम से लोगों को प्रेरित करने का प्रयास करता है। मुझे लगता है कि सफलता प्राप्त करने का पहला मूलभूत तत्व खुद पर विश्वास करना है, चाहे वह कितना भी महत्वपूर्ण क्यों न हो।