ताकत और एकता
ताकत से है दुनियाॅ हारी,
ताकत पर हैं सब बलिहारी।
चाहे हो तन की ताकत,
या फिर हो वह मन की ताकत,
समझ की ताकत सब पर भारी
ताकत से है दुनियाॅ हारी।
चाहे हो दौलत की ताकत,
या फिर हो अभिमान की ताकत,
स्वाभिमान की ताकत सब पर भारी,
ईमान की ताकत सब पर भारी,
ताकत से है दुनियाॅ हारी।
झूठ की महिमा सबसे न्यारी,
रीझें इस पर सब नर नारी,
सच की ताकत सब पर भारी,
सच पर चले न कोई आरी।
रात अमावस, छाए घना अंधेरा,
कोई राह न सूझे,और दूर हो सवेरा,
इक लौ दिये की तम पर भारी,
इक लौ दिये की हरती अंधियारी।
चाहे हो कितने मतभेद,
या फिर हो कितने मनभेद,
फिर भी एकता सब पर भारी,
एकता से है दुनियाॅ हारी।