मुस्कुराहट
सदा सलामत रहे तेरी ये मुस्कुराहट,
छीनने वाले तो हजारों मिलेंगे,
भोर की पहली किरण सा उजाला बनों,
फिर कदमताल करने वाले हजारों मिलेंगे।
मन तो आजाद परिंदा है
तन जर्जर है, मन निर्झर है,
तन काॅप रहा,मन नाच रहा,
कदम न आगे बढ़ रहे,
मन उड़ाने भर रहा,
तन ढह गया है बिस्तर पर,
मन मयूर उड़े आसमान में,
तन और मन का कोई मेल नहीं,
तन तो ढलती शाम है,
जीवन संध्या में ढल जायेगी,
मन को कहॉ कोई बाॅध सका,
मन तो आजाद परिंदा है।
जीवन और मृत्यु
जिन्दगी का तो कोई ठिकाना नहीं,
फिर भी क्यूॅ जान छिड़कते है लोग,
मौत का ठिकाना तो निश्चित है,
फिर भी जाने क्यूॅ मुकरते हैं लोग।