इन्सान की कमजोरी
आडम्बर और स्वयं को सबसे श्रेष्ठ रखने की चाहत हर इन्सान की कमजोरी होती है,और इस संसार में यही चाहना ही सारे फसादों की जड़ बन जाती है।
अभिमान और स्वाभिमान
अभिमान और स्वाभिमान के बीच बस एक महीन सी रेखा होती है,अपने स्वाभिमान को इतना बड़ा भी न बनायें कि वह कब अभिमान बन जाय, और आपको पता भी न चले।
साॅसें
हमारा काम साॅसें लेना है, उन साॅसों को कब, कहाॅ और कैसे विराम देना है, यह सोचना ईश्वर का काम है।