Thoughts on Old Age Hope in Hindi

Old Age Home

मेरी गुजारिश है आज की युवा पीढ़ी से

शरीर बूढ़ा हो चला, चेहरे पर झुर्रियों ने डेरा जमा लिया,
नजर धुॅधला गयी, तन पर चढ़ा चमड़े का कवच कुम्हला गया,
चाल का कदमों से कोई तालमेल न रहा,डगमगाई सी चाल हो गयी।
कंचन सी काया का हाल बेहाल हो गया।
पर इस काया के अंदर हाड़ माॅस का
जो दिल है,वह कभी बूढ़ा न हो पाया।
वक्त के थपेड़ों ने, मुश्किलों की ऑधियों ने,
रिश्तों की धूप छाॅव ने उसके अनुभवों को और मजबूत कर दिया।
वह हाड़ माॅस का बना दिल आज भी उड़ना चाहता है, थिरकना चाहता है,
ठहाकों की आवाज में अपनी आवाज मिलाना चाहता है।
अपनी अधूरी ख्वाहिशें, जो जिम्मेदारियों के बोझ तले दब कर दम तोड़ चुकीं,
उन्हें फिर से जीना चाहता है। मेरी गुजारिश है आज की युवा पीढ़ी से,
इन वृद्ध जनों की इच्छाओं का सम्मान करें, और उनका सहयोग करें।
आज तो ये हमारे साथ हैं, न जाने कब इनके जीवन रथ का चक्का जाम हो जाय,
साॅसो की डोर थम जाय, आखिर कल को इनका स्थान हमें ही तो लेना है,
तो इसकी तैयारी आज से ही शुरू कर दी जाय तो कैसा रहे।

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