Thoughts on Unnecessary Competition / अनावश्यक प्रतियोगिता

Unnecessary Competition

दूसरों की होड़ करना

आज यहाॅ हर आदमी परेशान है,
लगता है जैसे होठों से रूठ गयी मुस्कान है,
न रातों में नींद,
और न दिन में ही चैन है।
सच पूछो तो यह खुद ही खरीदी गयी,
एक बीमारी है,
दूसरों की होड़ करना इन्सान की लाचारी है।


Author: ASHA

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