
पानी का न कोई रंग
नहीं होता पानी का कोई रंग,
बिन पानी तो ये सारी सृष्टि है बेरंग।
पानी
निर्मल, धवल, उज्जवल सा पानी,
बिन पानी ये सारा जग है बेमानी।
व्यर्थ न बहने दें
पानी तरल है, इसका स्वभाव ही है बहना,
पर आप इसे यूँ ही व्यर्थ न बहने दें।
अमृत है पानी
धरा पर अमृत है पानी,
बिन पानी, बच पाय न कोई जिन्दगानी।
अपनी नादानी
सूखे कंठों को, जब मिल न सकेगा पानी,
तब बहुत याद आयेगी, अपनी नादानी।
बूँद बूँद
व्यर्थ ही बहने दिया, नीर नालियों में,
अब भटक रहे बूँद बूँद को गलियों में।
प्यासे
नयनों में नीर लिए, प्यासे हैं कंठ,
इन प्यासे कंठों की प्यास,
ऑखों के खारे पानी से नहीं बुझती।
हाहाकार
नदियाँ सूखी, सूखे खेत, मच गया हाहाकार,
तालाब, कुँए, बावड़ी हो गये सब बेकार।
पानी
सारा पानी आप ही पी जाओगे,
आने वाली पीढ़ीयों को, क्या मुॅह दिखाओगे।