
बचपन
बचपन हॅसेगा, तो देश खिलेगा,
आज का बचपन कल युवा बनेगा।
बिकता बचपन
आग पेट की करती मजबूर,
बिकता बचपन फिर भरपूर।
खेल खिलौने
खेल खिलौने और किताबे देकर,
इनके जीने का हक इन्हे तोहफे में दे दो।
बचपन अनमोल है
बचपन अनमोल है,
इसे चंद सिक्कों में न बेचे न खरीदें।
बचपन गिरवी रखने वालों,
इस पाप से उद्धार का कोई रास्ता नहीं है।
बाल मजदूरों का सच
दो रोटी की खातिर बच्चे,
गिरवी रखते अपना बचपन,
फटकार, और फिर गालियों की बौछार,
बस यही है बाल मजदूरों का सच।
बाल मजदूरी
अभिशाप है बाल मजदूरी,
बच्चों पर है अन्याय,
बाल मजदूरी की आड़ में,
धनवान अपना धन बचाय,
कम वेतन देकर
बच्चों से मनमाना काम लिया जाय।
किस्मत के मारे
कुछ बच्चे प्यारे प्यारे,
शायद होते किस्मत के मारे,
कभी इनका जुड़ नहीं पाता,
कलम -किताब से नाता,
पेट की आग बुझाने के लिए,
परिवार की रोटी कमाने के लिए,
हो जाते हैं मजबूर,
बाल मजदूरी करने के लिए।