Poetry on Consciousness in Hindi / चेतना

Poetry on Consciousness in Hindi

कहीं थोड़ी सी दूरी खाई न बन जाय

इतना ऊॅचा भी न उड़ ऐ इन्सान,
लोगो के मन से तेरी परछाई ही निकल जाय,
आना तो लौट कर इस जहान में ही है,
कहीं थोड़ी सी दूरी खाई न बन जाय।


Author: ASHA

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