माॅ मैं तेरी कोख में हूॅ
माॅ मैं तेरी कोख में हूॅ,
तेरा ही रूप हूॅ मैं,
तेरा ही प्रतिरूप हूॅ
मैं,अंशिता हूॅ तेरी,
कहीं न कहीं वंशिता हूॅ तेरी।
अपने ही अंश को,
अपने ही व॔श को,
निर्ममता की वेदी पर मिटाने चली।
अधिकार जीवन का जो तूने दिया,
आज तू ही उसे निपटाने चली।
कुल दीपक न सही,
कुल रौशनी हूॅ मैं,
आने दे मुझे उजालों में,
साॅस लेने दे मुझे,
संसार के सवेरों में।
गर्व होगा तुझे अपनी ही इस संतान पर,
कोख में न मार मुझे,
अपने ऑचल तले सॅवार ले।