Category: Empathy
Poetry on Empathy in Hindi / सहानुभूति
Published Date: January 16, 2022
गर्म कम्बलों और रजाईयों में सिमट कर सोने वालों, फुटपाथ पर सोने वालों की ठिठुरन का कुछ एहसास तो करो । घुल जाएगी तुम्हारी ठंडक तड़के की चाय की प्याली में, उन बेसहारों की सुबह चाय की तलब का कुछ एहसास तो करो। न होगी तुम्हारी जेब खाली, उन बेसहारों को जब दोगे चाय की प्याली, मिलेगा एक मीठा सा सुकंन मन को, जब दुआयें देंगे वो आपको और आपके अपनों को।