Poetry on Time in Hindi / समय पर कविताएं
समय समय की बात है मानसा, मत समय पे तू इतरावे, आज समय जो तेरा है, कल को आगे बढ़ जावे। बैठा बैठा बुन रहा सपने, मन की पींग हिलावे, कर ले अभी जो करना चाहे, समय तिजोरी न भावे।
Devotional Thoughts in Hindi / भक्तिमय सुविचार
चाहे सजा लो कितने शिवालय, चाहे चलाओ कितने अनाथालय, बाॅटो चाहे मुफ्त दवाईयाॅ, दिखावा है यह जग में शक्ति का या सच में चढ़ा है रंग भक्ति का प्रभू के तराजू का है तौल खरा मिलेगा बस उतना ही जितना मन का है पात्र भरा।
Birthday Wishes in Hindi / जन्मदिन मुबारक
मध्यम सा स्पन्दन, धीमी सी आहट, खोले जो पट, प्यारी सी मुस्कुराहट, साॅवला सलोना रूप लिए, मेरा अनुज था सामने। स्नेह भरे हाथ उठे आषीश देने के लिए, चाॅद सितारों की दुनियाॅ से चुरा लाऊॅ रौनक,तेरे जन्मदिन को सजाने के लिए।
Thoughts on Success in Hindi / सफलता पर सुविचार
सफलता का रास्ता कभी बना बनाया नहीं मिलता,उसे अपने प्रयत्नों से ही बनाना पड़ता है।आपके प्रयासों में कितनी कशिश होगी,कितनी गहराई होगी ,यह भी आप पर ही निर्भर होगा। कहा भी जाता है कि जितनी मेहनत उतना ही पुरस्कार मिलता है।
Thoughts on Friendship in Hindi / दोस्ती पर सुविचार
जिस तरह शुद्ध ,सात्विक भोजन में भी नमक का होना जरूरी है, उसी तरह निस्वार्थ रिश्तों की गर्माहट बनाये रखने के लिए धन का होना भी अनिवार्य है। जब सुदामा अपने बालसखा कॄष्ण से मिलने गये, तो चार मुठ्ठी चावल पोटली में बाॅध कर ले गये।
Quotes on Wisdom in Hindi / बुद्धिमत्तापूर्ण कोट्स
आडम्बर और स्वयं को सबसे श्रेष्ठ रखने की चाहत हर इन्सान की कमजोरी होती है,और इस संसार में यही चाहना ही सारे फसादों की जड़ बन जाती है।
Wisdom Thoughts in Hindi / बुद्धिमतापूर्ण विचार
किसी भी प्राणी के बाहरी आवरण या उसके आकर्षित स्वरूप को देख कर उसके अंदर की कलुषता का अनुमान नहीं लगाया जा सकता। जैसे मोर के सुंदर पंख और उसका नृत्य देख कर कोई अंदाज नहीं लगा सकता कि मोर का भोजन विषैला साँप भी हो सकता है।
Katu Vachan in Hindi / कटु वचन
पौराणिक काल में सागर मंथन से निकले विष को शिव ने जगत कल्याण हेतु स्वेच्छा से अपने कंठ में स्थान दिया और नीलकंठ कहलाये। आज के समाज मंथन से निकला विष मानव की आत्मा, उसकी अंतरात्मा को जख्म दे रहा है , वह निरीह प्राणी कहाॅ जाय।
Thoughts on Suffering in Hindi / वेदना
आज के इस भौतिकतावादी युग में ऐसा लगता है जैसे कि इन्सानियत भी शर्मसार हो गयी है,परिन्दों के पंखों पर सवार होकर दूर कहीं क्षितिज में जाकर छिप गयी है। इन्सान के अंदर की हैवानियत को मौका मिल गया है अपना रंग दिखाने का,और वह भी हैवान बन कर ही रह गया है। कम से कम आज का समय तो यही गवाही दे रहा है,कल क्या हो जाय, यह तो भविष्य ही बता सकता है।
Devotional Songs Lyrics in Hindi / भजन
थाल सजा कर चल दिये प्रभू के दीवाने,अपने अपने इष्ट को रिझाने,फल ,फूल,दिया बाती,अक्षत,रोली,चन्दन फिर भी कुछ रह गयी है कमी जिसके तो प्रभू भी हैं दीवाने। सूने नयनों से निहार कर पूछते हैं प्रभू, मिष्ठान, पकवान तो बहुत है भोले भक्त, थोड़ी सी श्रद्धा भी सजा लेते थाल में, तो मैं निहाल हो जाता।