Poetry on Consciousness in Hindi / चेतना

Poetry on Consciousness in Hindi

कहीं थोड़ी सी दूरी खाई न बन जाय

इतना ऊॅचा भी न उड़ ऐ इन्सान,
लोगो के मन से तेरी परछाई ही निकल जाय,
आना तो लौट कर इस जहान में ही है,
कहीं थोड़ी सी दूरी खाई न बन जाय।


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ASHA Writer, Creator, and Motivator
मैं एक लेखक, निर्माता और प्रेरक हूं जो विश्लेषणात्मक और तार्किक सोच के माध्यम से लोगों को प्रेरित करने का प्रयास करता है। मुझे लगता है कि सफलता प्राप्त करने का पहला मूलभूत तत्व खुद पर विश्वास करना है, चाहे वह कितना भी महत्वपूर्ण क्यों न हो।

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