Poetry on Empathy in Hindi / सहानुभूति

Poetry on Empathy in Hindi

दुआयें

गर्म कम्बलों और रजाईयों में सिमट कर सोने वालों,
फुटपाथ पर सोने वालों की ठिठुरन का कुछ एहसास तो करो ।
घुल जाएगी तुम्हारी ठंडक तड़के की चाय की प्याली में,
उन बेसहारों की सुबह चाय की तलब का कुछ एहसास तो करो।
न होगी तुम्हारी जेब खाली,
उन बेसहारों को जब दोगे चाय की प्याली,
मिलेगा एक मीठा सा सुकंन मन को,
जब दुआयें देंगे वो आपको और आपके अपनों को।


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ASHA Writer, Creator, and Motivator
मैं एक लेखक, निर्माता और प्रेरक हूं जो विश्लेषणात्मक और तार्किक सोच के माध्यम से लोगों को प्रेरित करने का प्रयास करता है। मुझे लगता है कि सफलता प्राप्त करने का पहला मूलभूत तत्व खुद पर विश्वास करना है, चाहे वह कितना भी महत्वपूर्ण क्यों न हो।

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