Poetry on Empathy in Hindi / सहानुभूति

Poetry on Empathy in Hindi

दुआयें

गर्म कम्बलों और रजाईयों में सिमट कर सोने वालों,
फुटपाथ पर सोने वालों की ठिठुरन का कुछ एहसास तो करो ।
घुल जाएगी तुम्हारी ठंडक तड़के की चाय की प्याली में,
उन बेसहारों की सुबह चाय की तलब का कुछ एहसास तो करो।
न होगी तुम्हारी जेब खाली,
उन बेसहारों को जब दोगे चाय की प्याली,
मिलेगा एक मीठा सा सुकंन मन को,
जब दुआयें देंगे वो आपको और आपके अपनों को।


Author: ASHA

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