Thoughts on Self Improvement in Hindi / आत्म-सुधार पर सुविचार

Thoughts on Self Improvement in Hindi

आत्म-सुधार

मन की सारी खिड़कियाॅ और दरवाजे खोल दो, अतीत के कड़वे अनुभवों को, कार्बनडाय आक्साइड जैसी दूषित हवा की तरह बाहर निकाल दो। वर्तमान की खुशियों को ताजी हवा के झोकों की तरह अंदर आने दो। ठहरे हुए पानी में सड़ांध और मच्छर ही पनपते है, जबकि बहता हुआ जल शुध्द और शीतल होता है। अब यह आप पर निर्भर है कि आप क्या चाहते है, अतीत से जुड़े रह कर रोते रहना, या फिर वर्तमान को भोर की किरणों की तरह खुशनुमा बनाना ?


Author: ASHA

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